दीपोत्सव आये
प्रमुदित मन हम करें दीप अभिनंदन
आज धरा पर कोटि चंद्र मुस्काये
दीपोत्सव आये
बालविधु से कोमल चंचल
सुंदर मनहर स्नेहिल उज्जवल
घर घर दीप जले
पल पल प्रीत पले
अंध तमस मय निशा आज मावस की
भूतल नीलाम्बर से होड़ लगाये
दीपोत्सव आये
रसमय बाती लौ का अर्चन
पुलकित है मन जनजन जीवन
नवप्रकाश आया
ले उल्लास आया
रसासिक्त दीपक में लौ मुस्काई
जैसे पल्वल में पद्मावली छाये
दीपोत्सव आये
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