जीवन -सात दिन का
सारा जीवन सात दिनों का ,पहले दो दिन बचपन के
तीन दिवस ऊर्जा परिपूरित ,कहलाते है यौवन के
छटे दिवस तक ,ढीले पड़ते ,पुर्जे सारे इस तन के
आये बुढ़ापा दिवस सातवें ,हम तुम पड़ते ठन्डे है
ये जीवन का सन्डे है
संडे का दिन छुट्टी का दिन ,काम नहीं आराम करो
बहुत थक लिये ,पिछले छह दिन ,अब थोड़ा विश्राम करो
सुबह देर तक सोवो प्रेम से और रंगीली शाम करो
अपनी सब चिंताएं छोडो आया असली 'फन डे ' है
ये जीवन का सन्डे है
हमें याद आते है वो दिन ,जब हम नौकरी करते थे
सन्डे की छुट्टी के खातिर ,कितना अधिक तरसते थे
कई काम सन्डे को, करने खातिर छोड़ा करते थे
काम पेन्डिंग सब पूरे कर ,हमने गाड़े झंडे है
ये जीवन का सन्डे है
यह तो एक आराम पर्व है हमको ,यूं न बिताना है
जितना भी बन सके ,दीन दुखियों को सुख पहुँचाना है
बहुत कमाया धन जीवन में ,अब तो पुण्य कमाना है
मन को रमा ,राम में ,तजने सब हथकंडे है
ये जीवन का सन्डे है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
सारा जीवन सात दिनों का ,पहले दो दिन बचपन के
तीन दिवस ऊर्जा परिपूरित ,कहलाते है यौवन के
छटे दिवस तक ,ढीले पड़ते ,पुर्जे सारे इस तन के
आये बुढ़ापा दिवस सातवें ,हम तुम पड़ते ठन्डे है
ये जीवन का सन्डे है
संडे का दिन छुट्टी का दिन ,काम नहीं आराम करो
बहुत थक लिये ,पिछले छह दिन ,अब थोड़ा विश्राम करो
सुबह देर तक सोवो प्रेम से और रंगीली शाम करो
अपनी सब चिंताएं छोडो आया असली 'फन डे ' है
ये जीवन का सन्डे है
हमें याद आते है वो दिन ,जब हम नौकरी करते थे
सन्डे की छुट्टी के खातिर ,कितना अधिक तरसते थे
कई काम सन्डे को, करने खातिर छोड़ा करते थे
काम पेन्डिंग सब पूरे कर ,हमने गाड़े झंडे है
ये जीवन का सन्डे है
यह तो एक आराम पर्व है हमको ,यूं न बिताना है
जितना भी बन सके ,दीन दुखियों को सुख पहुँचाना है
बहुत कमाया धन जीवन में ,अब तो पुण्य कमाना है
मन को रमा ,राम में ,तजने सब हथकंडे है
ये जीवन का सन्डे है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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