आदरणीय माताजी की प्रथम पुण्यतिथि पर
आज तुम्हारा मृत्यु पर्व माँ ,जब तुमने जग छोड़ा था
चली गयी तुम,रोता और विलखता ये दिल तोडा था
तुम बिन कितना सूनापन सा व्याप्त हो गया जीवन में
जब भी याद तुम्हारी आती ,आँखें भरती अंसुवन में
तुम थी तो घर में रौनक थी ,हलचल थी,उजियारा था
हम पर ममता की छाया थी ,संबल और सहारा था
तेरे आँचल में खुशियां थी ,हम सब हँसते गाते थे
तेरे ही निर्देश हमेशा , सही दिशा दिखलाते थे
तूने हरदम हमें संभाला ,सुख दुःख में ढाढ़स बाँधा
रहे संतुलित ,रखी सुरक्षित,परिवार की मर्यादा
माता ,तेरी आशीषें ही ,जीवन सफल बनायेंगी
दुर्गम पथ कोआलोकित कर राह हमें दिखलायेगी
तेरे आदर्शों पर चल कर ,हम जीवन निर्वाह करें
हिलमिल कर परिवार हमेशा ,सुखी रहे,यह चाह करें
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
आज तुम्हारा मृत्यु पर्व माँ ,जब तुमने जग छोड़ा था
चली गयी तुम,रोता और विलखता ये दिल तोडा था
तुम बिन कितना सूनापन सा व्याप्त हो गया जीवन में
जब भी याद तुम्हारी आती ,आँखें भरती अंसुवन में
तुम थी तो घर में रौनक थी ,हलचल थी,उजियारा था
हम पर ममता की छाया थी ,संबल और सहारा था
तेरे आँचल में खुशियां थी ,हम सब हँसते गाते थे
तेरे ही निर्देश हमेशा , सही दिशा दिखलाते थे
तूने हरदम हमें संभाला ,सुख दुःख में ढाढ़स बाँधा
रहे संतुलित ,रखी सुरक्षित,परिवार की मर्यादा
माता ,तेरी आशीषें ही ,जीवन सफल बनायेंगी
दुर्गम पथ कोआलोकित कर राह हमें दिखलायेगी
तेरे आदर्शों पर चल कर ,हम जीवन निर्वाह करें
हिलमिल कर परिवार हमेशा ,सुखी रहे,यह चाह करें
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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