जख्म
तुम क्या जानो ,तुमने हमको ,
कितने जख्म दिये है
नज़र बचा दुनिया की हमने ,
जो चुपचाप सिये है
जब जब भी व्यवहार तुम्हारा ,
था काँटों सा गड़ता
हम रोते तो दुनिया हंसती ,
फर्क तुम्हे क्या पड़ता
कैसे हृदय चीर दिखलायें ,
हम किस तरह जिये है
तुम क्या जानो ,तुमने हमको ,
कितने जख्म दिये है
तुमने सब आशायें तोड़ी ,
हमको तडफाया है
कितनी ही रातें जागे हम ,
मन को समझाया है
अब तो बहना बंद हो गए ,
इतने अश्रु पिये है
तुम क्या जानो ,तुमने हमको ,
कितने जख्म दिये है
बस दो मीठे बोल प्यार के ,
और इज्जत थी मांगी
तुममे अपनापन ना जागा ,
हमने आस न त्यागी
एक दिन शायद भूल सुधारो ,
ले ये आस जिये है
तुम क्या जानो तुमने हमको ,
कितने जख्म दिये है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
तुम क्या जानो ,तुमने हमको ,
कितने जख्म दिये है
नज़र बचा दुनिया की हमने ,
जो चुपचाप सिये है
जब जब भी व्यवहार तुम्हारा ,
था काँटों सा गड़ता
हम रोते तो दुनिया हंसती ,
फर्क तुम्हे क्या पड़ता
कैसे हृदय चीर दिखलायें ,
हम किस तरह जिये है
तुम क्या जानो ,तुमने हमको ,
कितने जख्म दिये है
तुमने सब आशायें तोड़ी ,
हमको तडफाया है
कितनी ही रातें जागे हम ,
मन को समझाया है
अब तो बहना बंद हो गए ,
इतने अश्रु पिये है
तुम क्या जानो ,तुमने हमको ,
कितने जख्म दिये है
बस दो मीठे बोल प्यार के ,
और इज्जत थी मांगी
तुममे अपनापन ना जागा ,
हमने आस न त्यागी
एक दिन शायद भूल सुधारो ,
ले ये आस जिये है
तुम क्या जानो तुमने हमको ,
कितने जख्म दिये है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
No comments:
Post a Comment