माँ की याद में
रह गयी माँ,तुम सुहानी याद बन
एक ममता भरा आशीर्वाद बन
वो तुम्हारे नयन अनुभव से भरे
वो तुम्हारे बोल सच्चे और खरे
गर्व ,स्वाभिमान से जीवन जिया
समय के संगसंग बदल खुद को लिया
रहती थी खुश ,हृदय में संतोष था
कुछ न कहती ,पर तुम्हारा रौब था
सब में खुशियां बांटती आल्हाद बन
रह गयी माँ तुम सुहानी याद बन
वो तुम्हारी नसीहतें और ज्ञान वो
रिश्ते नाते ,रिवाजों का मान वो
भले तन कमजोर ,मन मजबूत था
हौंसला ,जज्बा सदा मौजूद था
प्यार सब में थी बराबर बांटती
बुरा लगता ,साफ़ कहती,डाटती
हम है गर्वान्वित तेरी औलाद बन
रह गयी माँ ,तुम सुहानी याद बन
वो तुम्हारी ,धर्म प्रभु में आस्था
परेशानी में, दिखाना रास्ता
नहीं विचलित हुई हरदम दॄढ़ रही
दान सेवा में सदा बढ़ चढ़ रही
वो तुम्हारा आत्मबल, स्वाधीनता
वो तुम्हारी पाक में परवीनता
अब भी मुंह में डोलती है स्वाद बन
रह गयी माँ तुम सुहानी याद बन
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
रह गयी माँ,तुम सुहानी याद बन
एक ममता भरा आशीर्वाद बन
वो तुम्हारे नयन अनुभव से भरे
वो तुम्हारे बोल सच्चे और खरे
गर्व ,स्वाभिमान से जीवन जिया
समय के संगसंग बदल खुद को लिया
रहती थी खुश ,हृदय में संतोष था
कुछ न कहती ,पर तुम्हारा रौब था
सब में खुशियां बांटती आल्हाद बन
रह गयी माँ तुम सुहानी याद बन
वो तुम्हारी नसीहतें और ज्ञान वो
रिश्ते नाते ,रिवाजों का मान वो
भले तन कमजोर ,मन मजबूत था
हौंसला ,जज्बा सदा मौजूद था
प्यार सब में थी बराबर बांटती
बुरा लगता ,साफ़ कहती,डाटती
हम है गर्वान्वित तेरी औलाद बन
रह गयी माँ ,तुम सुहानी याद बन
वो तुम्हारी ,धर्म प्रभु में आस्था
परेशानी में, दिखाना रास्ता
नहीं विचलित हुई हरदम दॄढ़ रही
दान सेवा में सदा बढ़ चढ़ रही
वो तुम्हारा आत्मबल, स्वाधीनता
वो तुम्हारी पाक में परवीनता
अब भी मुंह में डोलती है स्वाद बन
रह गयी माँ तुम सुहानी याद बन
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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