कंवारे का लोक डाउन
मैं डरता नहीं करोने से
जितना कड़छी और भगोने से
ले सुबह दूध और ब्रेड ,लंच ,ऑफिस में जाकर खाता था
संध्या को होटल जाता था या घर पर टिफिन मंगाता था
संडे को कंटाला आता ,कपडे और बर्तन धोने से
मैं डरता नहीं करोने से
बरमूडा और बनियान पहन ,सब काम करो अब ऑन लाइन
ना चहल पहल ,ना यार दोस्त ,मुश्किल से ही कटता टाइम
जब भूख लगे ,खुद कुकिंग करो ,उठना ही पड़े बिछोने से
मैं डरता नहीं करोने से
कुछ काम चलाया मेग्गी से ,कुछ केले ,फल से काम चला
जब पड़ा पकाना हाथों से ,तो गरम तवे से हाथ जला
पहले सोने को समय न था ,अब तंग आ गया सोने से
मैं डरता नहीं करोने से
सीखा कैसे आटा सनता ,रोटी पर गोल नहीं बिलती
गूगल गुरु से सीखा कैसे ,खिचड़ी और बिरयानी बनती
मम्मी कहती ,शादी करले ,क्या होगा यूं ही रोने से
मैं डरने लगा करोने से
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
मैं डरता नहीं करोने से
जितना कड़छी और भगोने से
ले सुबह दूध और ब्रेड ,लंच ,ऑफिस में जाकर खाता था
संध्या को होटल जाता था या घर पर टिफिन मंगाता था
संडे को कंटाला आता ,कपडे और बर्तन धोने से
मैं डरता नहीं करोने से
बरमूडा और बनियान पहन ,सब काम करो अब ऑन लाइन
ना चहल पहल ,ना यार दोस्त ,मुश्किल से ही कटता टाइम
जब भूख लगे ,खुद कुकिंग करो ,उठना ही पड़े बिछोने से
मैं डरता नहीं करोने से
कुछ काम चलाया मेग्गी से ,कुछ केले ,फल से काम चला
जब पड़ा पकाना हाथों से ,तो गरम तवे से हाथ जला
पहले सोने को समय न था ,अब तंग आ गया सोने से
मैं डरता नहीं करोने से
सीखा कैसे आटा सनता ,रोटी पर गोल नहीं बिलती
गूगल गुरु से सीखा कैसे ,खिचड़ी और बिरयानी बनती
मम्मी कहती ,शादी करले ,क्या होगा यूं ही रोने से
मैं डरने लगा करोने से
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
No comments:
Post a Comment