हाथ की बात
अगर जो दोस्ती करनी ,मिलाना हाथ पड़ता है
दुश्मनी जो निभानी तो ,दिखाना हाथ पड़ता है
हाथ पर हाथ रख करके ,बैठने से न कुछ होता ,
काम करना है आवश्यक ,हिलाना हाथ पड़ता है
पकड़ कर हाथ लो फेरे ,जनम भर का बंधे बंधन
खुले हाथों करो खरचा ,खतम पैसे तो हो निर्धन
मिलाकर हाथ ,सबके साथ ,चलने में बसी खुशियां ,
तुम्हारे हाथ में ये है ,जियो तुम किस तरह जीवन
तुम्हारे हाथ की रेखा , तुम्हारे भाग्य की रेखा
जब उठते हाथ,आशीर्वाद,मिल जाता है अपने का
जोड़ते हाथ है जब हम ,नमस्ते है ,स्वागत है ,
हिला कर हाथ ,लोगों को ,बिदा करते हुए देखा
हुनर हाथों में होता है ,कलाकृतियां बना देते
जो हो हाथों में बाहुबल ,विजय श्री आपको देते
प्यार में बाहुबंधन भी ,इन्ही हाथों से बंधता है ,
सहारा हाथ ये देते और गिरतों को उठा लेते
हाथ देते है ,लेते है ,मचलते है ,फिसलते है
नहीं जब हाथ कुछ लगता ,लोग जल हाथ मलते है
किसी के हाथ में मेंहदी ,किसी के हाथ पीले है ,
खनकती हाथ में चूड़ी , अदा से जब वो चलते है
फरक मानव पशु में ये ,मनुज के हाथ होते है
बजाते तालियां ,खुशियों में हरदम साथ होते है
कमा ले करोडो ,इंसान दुनिया छोड़ जब जाता ,
नहीं कुछ साथ ले जाता ,बस खाली हाथ होते है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
अगर जो दोस्ती करनी ,मिलाना हाथ पड़ता है
दुश्मनी जो निभानी तो ,दिखाना हाथ पड़ता है
हाथ पर हाथ रख करके ,बैठने से न कुछ होता ,
काम करना है आवश्यक ,हिलाना हाथ पड़ता है
पकड़ कर हाथ लो फेरे ,जनम भर का बंधे बंधन
खुले हाथों करो खरचा ,खतम पैसे तो हो निर्धन
मिलाकर हाथ ,सबके साथ ,चलने में बसी खुशियां ,
तुम्हारे हाथ में ये है ,जियो तुम किस तरह जीवन
तुम्हारे हाथ की रेखा , तुम्हारे भाग्य की रेखा
जब उठते हाथ,आशीर्वाद,मिल जाता है अपने का
जोड़ते हाथ है जब हम ,नमस्ते है ,स्वागत है ,
हिला कर हाथ ,लोगों को ,बिदा करते हुए देखा
हुनर हाथों में होता है ,कलाकृतियां बना देते
जो हो हाथों में बाहुबल ,विजय श्री आपको देते
प्यार में बाहुबंधन भी ,इन्ही हाथों से बंधता है ,
सहारा हाथ ये देते और गिरतों को उठा लेते
हाथ देते है ,लेते है ,मचलते है ,फिसलते है
नहीं जब हाथ कुछ लगता ,लोग जल हाथ मलते है
किसी के हाथ में मेंहदी ,किसी के हाथ पीले है ,
खनकती हाथ में चूड़ी , अदा से जब वो चलते है
फरक मानव पशु में ये ,मनुज के हाथ होते है
बजाते तालियां ,खुशियों में हरदम साथ होते है
कमा ले करोडो ,इंसान दुनिया छोड़ जब जाता ,
नहीं कुछ साथ ले जाता ,बस खाली हाथ होते है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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