गदहा चाहे बनना घोड़ा
गदहा यह कोशिश कर रहा कोई उसे बना दे घोड़ा
ऐसे वैसे, जैसे तैसे, बुद्धिमान बन जाए थोड़ा
उत्तरदक्षिण पूरबपश्चिम,फिरा सब तरफ दौड़ा दौड़ा चादर कभी मजार चढ़ाई, पहना कभी जनेऊ जोड़ा
एड़ी चोटी जोर लगाया ,साथ न देता भाग्य निगोड़ा
रहा फिसड्डी ही वो हरदम, कितनी बार रेस में दौड़ा
यूं ही फुस्स हो शांत गया ,कितनी बार फटाखा फोड़ा
ना तो कुर्सी मिली और ना पहन सका शादी का जोड़ा चमचों ने सर पर बैठाया ,समझदार मित्रों ने छोड़ा
लेकिन ऐसी फूटी क़िस्मत, पप्पू मुझे बना कर छोड़ा
,गदहा ये कोशिश कर रहा कोई उसे बनादे घोड़ा
घोटू
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