तीरंदाज हो गए
हम मोह में जिनके बंधे उन्ही के दर्शन को मोहताज हुये
जाने क्या बात हुई ऐसी , वो हमसे है नाराज हुये
हमने जिन से रिश्ता जोड़ा, वो बीच राह में छोड़ गए,
चलता न किसी पर भी बस है,हम इतने बेबस आज हुये
हम प्यार में जिनके पागल हैं, नित मानमनौव्वल करते है ,
हर बात पर आपा खो देते, वो इतने तुनक मिजाज हुये
हम बड़ी शान से पहन रहे, है तार तार हो रही जींस,
तन दिखलाऊऔर फटे वस्त्र,अब फैशन के आगाज हुये
मॉडर्न बनने के चक्कर में ,हमने ऐसा यू-टर्न लिया
हम भूल संस्कृति को अपनी अब पश्चिम के मोहताज हुऐ
जिनके दादा और परदादा ,ना मार सके एक भी मेंढक,
क़िस्मत देखो उनके बेटे अब तीखे तीरंदाज हुये
साबुन जैसी उनकी यादें ,घिसघिस के झाग में बदल गई,
कुछ मन का मैलापन निकला ,कुछ साफ पुराने राज हुऐ
घोटू ठोकर खा सब गिरते,हम ठोकर खाकर संभल गए,
जीवन में सफलता पाने के, हम सीख गए अंदाज नये
मदन मोहन बाहेती घोटू
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