हम हैं अस्सी ,मीठी लस्सी
हम तो भुट्टे ,सिके हुए हैं
तेरे प्यार में बिके हुए हैं
तू टॉनिक सी ताकत देती,
बस दवाई पर टिके हुए हैं
मन की पीड़ा किस संग बांटे
साठे थे जब ,हम थे पाठे
उम्र भले ही अब है अस्सी
हम अब भी है मीठी लस्सी
हाथ पाव सब ही ढीले हैं
पर तबीयत के रंगीले हैं
खट्टे मीठे कितने अनुभव ,
कुछ सुख के, कुछ दर्दीले हैं
देखी रौनक और सन्नाटे
साठे थे जब , हम थे पाठे
उम्र भले ही अब है अस्सी
हम अब भी है मीठी लस्सी
ढलने को अब आया है दिन
आभा किंतु शाम की स्वर्णिम
रह रह हमें याद आते हैं ,
गुजरे वो हसीन पल अनगिन
बाकी दिन अब हंसकर काटे
साठे थे जब, हम थे पाठे
उम्र भले ही अब है अस्सी
हम अब भी है मीठी लस्सी
मदन मोहन बाहेती घोटू
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