जिंदगी जगमग दिवाली हो गई
तूने घूंघट हटाया चंदा उगा,धूप भी अब बन गई है चांदनी
तेरे अधुरो का मधुर स्पर्श पा, शब्द हर एक बन गया है रागिनी
जब से तेरे कपोलों को छू लिया, हाथ में खुशबू गुलाबी सन गई
हुईं हलचल दिल मचलने लग गया, भावनाएं कविताएं बन गई
छू कर तेरी रेशमी सी हथेली, हरी मेहंदी, लाल रंग में रच गई
देख मुझको मुस्कुरा दी तू जरा ,सपनों की बारात मेरी सज गई
तेरी नज़दीकियों के एहसास से, मेरी सब सांसे सुहागन हो गई
फूल मन के चमन में खिलने लगे ,बावरी यह उम्र दुल्हन हो गई
ऐसे बिखरे फूल हरसिंगार के ,हवाएं मादक निराली हो गई
आशाओं के दीप रोशन हो गए, जिंदगी जगमग दिवाली हो गई
मदन मोहन बाहेती घोटू
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