Sunday, May 22, 2022

सपने

सपने सिर्फ जवानी में ही देखे जाते हैं ,
नहीं बुढ़ापे में सपनों का आना होता है
नींद उचट जाया करती जब काली रातों में ,
तो बस बीती यादों का दोहराना होता है 
 
कब क्या क्या सोचा था किससे क्या उम्मीदें थी, 
उन में कितनी पूर्ण हो गई ,कितनी टूट गई लेटे-लेटे ,सूनी आंखों से देखा करते ,
कितनी ही घटनाएं हैं जो पीछे छूट गई 
बीते हुए खुशी के लम्हे सुख दे जाते हैं ,
पर कुछ बीती बातों से पछताना होता है 
सपने सिर्फ जवानी में ही देखे जाते हैं,
नहीं बुढ़ापे में सपनों का आना होता है 

ढलती हुई उम्र में सपने देखे भी तो क्या,
पतझड़ में भी कहीं फूल का खिलना होता है जीवन की सरिता की कलकल मौन हो रही है,
क्योंकि शीघ्र सागर से उसको मिलना होता है
हंसते-हंसते जैसे तैसे गुजर जाए ये दिन,
बस मन को ढाढस देकर समझाना होता है 
सपने सिर्फ जवानी में ही देखे जाते हैं,
 नहीं बुढ़ापे में सपनों का आना होता है

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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