अंतर वेदना
तू भी बिमार , मै भी बिमार
तन क्षीण हो रहा, लगातार
है सब पीड़ाएं हैं उम्र जन्य ,
अब कौन करेगा देखभाल
तू भी बिमार , मैं भी बिमार
खाते थे छप्पन भोग कभी
अब गले पड़ गए रोग सभी
अब खाने को मिलती भेषज,
लूखी रोटी और मूंग दाल
तू भी बिमार , मैं भी बिमार
अब कौन करेगा देखभाल
दुनिया भर घूमा करते थे
आकाश को चूमा करते थे
अब सिमटे चारदीवारी में,
घर ,बिस्तर है या अस्पताल
तू भी बिमार,मैं भी बिमार
अब कौन करेगा देखभाल
बच्चे अपने में व्यस्त सभी
आ हाल पूछते कभी-कभी
आपस में एक दूसरे की ,
अब हमको रखनी है संभाल
तू भी बिमार , मै भी बिमार
अब कौन करेगा देखभाल
जीवन का सुख भरपूर लिया
और शानदार जीवन जिया
अब ऐसा आया बुढ़ापा है,
सब बदल गई है चाल ढाल
तू भी बिमार, मैं भी बिमार
अब कौन करेगा देखभाल
छाये जीवन में सन्नाटे
धन और माया को क्या चाटे
उपभोग किया ना जीवन भर ,
बस केवल रखा था संभाल
तू भी बिमार,मैं भी बिमार
अब कौन करेगा देखभाल
तू एकाकी ,मैं एकाकी
जीवन के कुछ दिन ही बाकी
मालूम नहीं कब और किस दिन,
आ जाए काल, करने प्रहार
तू भी बिमार, मैं भी बिमार
अब कौन करेगा देखभाल
जब खुशियां बसती थी मन में
संगीत भरा सा जीवन में
हो गया बेसुरा यह जीवन
ना बचा कोई सुर, नहीं ताल
तू भी बिमार मै भी बिमार
अब कौन करेगा देखभाल
अब मोह माया को सकल त्याग
जागृत कर प्रभु प्रति अनुराग
श्री राम लला ,करें सबका भला ,
अब जीवन के वो ही आधार
तू भी बिमार, मैं भी बिमार
अब कौन करेगा देखभाल
मदन मोहन बाहेती घोटू
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