चंदन की हो या बबूल की,
हर लकड़ी के अपने गुण है
लेकिन जब वह जल जाती है
सिरफ राख ही रह जाती है
मैली बहती गंदी नाली ,
जब मिल जाती है गंगा से
अपनी सभी गंदगी खो कर ,
वह भी गंगा बन जाती है
अगर फूल गिरता माटी पर,
मिट्टी भी खुशबू दे देती ,
सज्जन संग सत्संग हमेशा
मन को शुद्ध किया करता है
अच्छे कर्म किए जीवन के
आया करते काम हमेशा
मानव देव पुरुष बन जाता
घड़ा पुण्य का जब भरता है
मदन मोहन बाहेती घोटू
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