हिसाब किताब
आओ बैठ हिसाब करें हम
अपने सत्कर्मों,पापों का
अब तक किए गए जीवन में
अपने सारे उत्पातों का
जो भी किया अभी तक हमने
सोच समझकर किया होगा
अपनी ज्ञान और बुद्धि से
उचित निर्णय लिया होगा
लेकिन अपनी अल्प बुद्धि से ,
लिया गया कोई भी निर्णय
औरों को भी उचित लगेगा
किंचित ही यह होगा संभव
सबका अपना दृष्टिकोण है
सोच सभी की अपनी-अपनी
पाप पुण्य की परिभाषाएं,
लोग बनाते अपनी-अपनी
बैठे, सोचे, मनन करें हम ,
अपने सत्कर्मों, पापों का
क्या क्या खोया, क्या क्या पाया
कितना लाभ हुआ ,क्या हानि
कितने दोस्त बनाए हमने
और दुश्मनी कितनी ठानी
चित्रगुप्त जी आडिट करके
पाप पुण्य सारे आकेंगे
जो जिसके हिस्से आएगा ,
नर्क स्वर्ग हमको बाटेंगे
पूर्व जन्म का फल निपटाते
यह जीवन तो निपट जाएगा
अगली योनि के कर्मों का
समय कहां फिर मिल पाएगा
अगले जन्मों के हित करना
पाप पुण्य फिर होगा संचित
जिसे देख भावी जीवन में ,
स्वर्ग नर्क होगा आवंटित
कैसे आलंकन होगा फिर
इस जीवन के अभिशापो का
आओ बैठ हिसाब करें हम,
अपने सत्कर्मों, पापों का
मदन मोहन बाहेती घोटू
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