तेरा आना
तुम आती तो रजनीगंधा, दिन में भी महकने लगती है
ठिठुराती सर्द शिशिर में भी, कोकिल सी कुहुकने लगती है
एक आग मिलन की गरमी की,मेरे दिल में दहकने लगती है
दिल मेरा चहकने लगता है ,मेरी चाल बहकने लगती है
तेरे आने की आहट से ,मन में छा जाती
मस्ती है
बिजलियां सैंकड़ों गिर जाती,जब तू मुस्कुराती हंसती है
तेरी मतवाली चाल देख ,भूचाल सा मन में
उठता है
ऐसी हो जाती हालत है कि चैन हृदय का
लुटता है
मन करता मेरे आस-पास, तुम बैठो यूं ही नहीं जाओ
मैं पियूं रूप रस , घूंट घूंट,तुम प्यार की मदिरा छलकाओ
मदन मोहन बाहेती घोटू
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