फेरे में
मैं होशियार हूं पढ़ी लिखी,
सब काम काज कर सकती हूं ,
तुम करके काम कमा लाना ,
मैं भी कुछ कमा कर लाऊंगी
हम घर चलाएंगे मिलजुल कर,
तुम झाड़ू पोंछा कर लेना,
रोटी और दाल पका लेना,
पर छोंका में ही लगाऊंगी
तुमने थी मेरी मांग भरी ,
लेकर के रुपैया चांदी का ,
उसके बदले अपनी मांगे,
हरदम तुमसे मनवाऊंगी
तुमने बंधन में बांधा था ,
पहना के अंगूठी उंगली में,
उंगली के इशारे पर तुमको ,
मैं जीवन भर नचवाऊंगी
अग्नि को साक्षी माना था
और तुमने दिये थे सात वचन,
उन वचनों को जैसे तैसे ,
जीवन भर तुमसे निभवाऊंगी
तुमने थे फेरे सात लिए
और मुझको लिया था फेरे में,
घेरे में मेरे फेरे के
चक्कर तुमसे कटवाऊंगी
मदन मोहन बाहेती घोटू
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