मारा मारी
मैं बेचारा आफत मारा
हरदम रहा शराफत मारा
अब हूं बड़ी मुसीबत मारा
और फिरता हूं मारा मारा
बचपन में था प्यार का मारा
सबके लाड दुलार का मारा
लेकर छड़ी गुरु ने मारा
थप्पड़ पापा जी ने मारा
आई जवानी जोश ने मारा
गुस्सा और आक्रोश ने मारा
बीवी से तकरार ने मारा
मुझको शिष्टाचार ने मारा
नजरों के बाणों से मारा
कुछ तीखे तानों से मारा
हुई जुदाई गम ने मारा
कुछ बदले मौसम ने मारा
मैं कुर्सी और पद का मारा
बहुत रौब करता था मारा
मगर वक्त ने ऐसा मारा
अब हूं बेकारी का मारा
करते थे जो मक्खन मारा
उन्हें अब कर लिया किनारा
यारों की यारी का मारा
अब मैं करता हूं झक मारा
इश्क में बेवफाई ने मारा
उनकी रुसवाई ने मारा
थोड़ा तनहाई ने मारा
बढ़ती महंगाई ने मारा
कभी हाथ था लंबा मारा
चौका मारा, छक्का मारा
तीर कभी तो तुक्का मारा
पर किस्मत ने मुक्का मारा
वृद्ध हुआ ,लाचारी मारा
कितनी ही बीमारी मारा
फिर भी जिम्मेदारी मारा
रोज की मारा मारी मारा
मैं बेचारा आफत मारा
फिरता हूं अब मारा मारा
मदन मोहन बाहेती घोटू
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