Saturday, April 16, 2011

रसोई घर में


मायक्रोवेव की तरह
तुम्हारी तरंगें
मेरे मन को इतना उद्वेलित कर देती है
की मेरे रोम रोम में
उर्जा का संचार हो जाता है
मेरे मन के प्रेशर कुकर में
जब तम्हारी ऊष्मा से
रक्त का दबाब बढ़ जाता है
तो सीटी सी बजने लगती है
मै गैस के चूल्हे सा
तुम्हारे प्यार के लायटर की चिंगारियों से
प्रज्वलित होता रहता हूँ
मै नान स्टिक तवे जैसा हूँ
जिससे तुम
कभी परांठा या डोसा बन
मिलती ,छिटकती रहती हो
मै तो चांवल और उड़द का वो घोल हूँ
जिसे तुम्हारे प्यार की स्टीम ने
स्वादिष्ट इडली जैसा बना दिया है
मै जूसर मिक्सर ग्रायिंदर की तरह
ज्यूस,चटनी, और पिसाई के लिए
अत्यंत उपयोगी उपकरण हूँ
तुमने अपने रूप और यौवन को
फ्रीजर में रखे हुए फलों की तरह
तरोताजा बना रखा है
तुम्हारे सुन्दर से मुखड़े पर
जब मुस्कान आती है
तो लगता है ,अरहर की दाल में
देशी घी का तड़का लग गया हो
आज रसोई घर की सब चीजे
तुम्हारी याद दिला रहीं हैं
तुम मैके से कब आओगी?

मदन मोहन बहेती 'घोटू'
नोयडा उ.प्र.

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