Thursday, July 21, 2011

रेखा

            रेखा
          -------
मैंने जब रेखा को देखा,मै था छोटा ,वो थी जवान
फिर बार बार उसको देखा,वो थी जवान ,मै था जवान
लेकिन इन धुंधली आँखों से,अब भी उसको देखा करता
वो अब भी लगती है  जवान लेकिन मै हूँ बूढा लगता
तो मैंने उनसे पूछ लिया,एक बात बताओ रेखा जी
क्यों नहीं तुम्हारे चेहरे पर है चढ़ी उम्र की रेखा जी
थी कितनी स्लीम सायरा जी,कितनो के दिल की रानी थी
दुबला पतला छरहरा बदन,सारी दुनिया दीवानी थी
पर जब से पति का प्यार मिला,दूना हो गया दायरा है
पहले जैसी दुबली पतली, अब ना वो रही सायरा  है
वह सुन्दर  कटे बाल वाली ,लड़की छरहरे बदन की थी
था नाम साधना, हिरोइन,मेरे महबूब   फिलम की थी
पर जब उसको महबूब मिला,वो फूली फूली फूल गयी
हो गया घना साधना बदन,अब जनता उसको भूल गयी
तो शादी कर लेने पर जब आहार प्यार का मिलता है
अच्छा खासा छरहरा बदन,शादी के बाद फूलता है
तो कम खाना और योग,साथ में अब तक मै जो क्वांरी हूँ
इसलिए चिरयुवा लगती हूँ,मै सुन्दर हूँ मै प्यारी हूँ


मदन मोहन बहेती 'घोटू'

No comments:

Post a Comment