पूरण पूरी
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पूरी होती तो पूरी है,फिर भी मगर अधूरी है
क्योंकि दिल होता है खाली,दो परतों में दूरी है
पर जब भर जाता मिठास का,पूरण इस खाली दिल में,
तब होती सम्पूर्ण और कहलाती पूरण पूरी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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पूरी होती तो पूरी है,फिर भी मगर अधूरी है
क्योंकि दिल होता है खाली,दो परतों में दूरी है
पर जब भर जाता मिठास का,पूरण इस खाली दिल में,
तब होती सम्पूर्ण और कहलाती पूरण पूरी है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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