Tuesday, November 8, 2011

हमें भी लगता बुरा है


हमें भी लगता बुरा है

--------------
हमारी हर बात पर ही,
तुम्हे लग जाता बुरा है
मौन है हम,मगर समझो,
हमें भी लगता बुरा है
बहुत है दिल को दुखाती,
तुम्हारी रुसवाईयां  है
ह्रदय में नश्तर चुभोती,
आजकल तनहाइयाँ है
और अपने में मगन तुम,
उड़ रहे ऊंचे गगन में
अरे,हम कुछ है तुम्हारे,
ख्याल आया कभी मन में
अभी भी मन में हमारे,
प्यार का सागर उमड़ता
और तुम भूले पिघलना ,
इस कदर आ गयी जड़ता
तुम्हे करके  के याद अक्सर ,
उभरते है प्यार के स्वर
मगर हर वाणी हमारी,
लौट आती,प्रतिध्वनि कर
तुम वही हो,हम वही है,
बीच में क्यों दूरियां है
बताओ ना क्या हुआ है,
कौनसी मजबूरियां है
बहुत मिलते हम पियाले,
बहुत मिलते हम निवाले
ना मिलेंगे मगर हम से,
चाहने वाले, निराले
कभी हम संग संग चले थे,
साथ हँसते और गाते
डूब यादों के भंवर में,
डुबकियाँ है हम लगाते
साथ हम थे तो ख़ुशी थी,
जिंदगी थी मुस्कराती
बिना सहलाये हमारे,
नींद भी थी नहीं आती
हमारा स्पर्श तुमको,
लगा लगने खुरदुरा है
मौन है हम,मगर समझो,
हमें भी लगता बुरा है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

No comments:

Post a Comment