Tuesday, November 8, 2011

ढीठ है हम

ढीठ है हम
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करो तुम रथ यात्राये,और भूख हड़ताल,अनशन
मौन,मुंह पर पट्टियाँ या,मोम बत्ती ले प्रदर्शन
बढ़ रही मंहगाई कोई,इस तरह ना रोक सकता
 जब तलक है पास सत्ता ,कमाएंगे मालमत्ता
घटेगी मंहगाई तब ही,जब घटाएंगे  उसे हम
नहीं सुधरे थे कभी हम,नहीं सुधरेंगे कभी हम
                        ढीठ  है हम
कर रहे उपवास अन्ना,लाओ लोकायुक्त बिल तुम
मिटे भ्रष्टाचार जिससे,साफ़ सुथरा हो प्रशासन
पास जब हो जाएगा  बिल,जाएगी घट कई मुश्किल
कहीं भ्रष्टाचार घटता,पास होने से कोई बिल
भ्रष्टता तब ही मिटेगी,जब मिटायेंगे उसे हम
नहीं सुधरे थे कभी हम,नहीं सुधरेंगे कभी हम
                          ढीठ है हम
देश तब संपन्न होगा,जब विदेशों में जमा धन
देश को मिल जाए वापस,आन्दोलन कर रहे तुम
भला ये भी बात है क्या ,किस तरह स्वीकार करलें
कई वर्षों की कमाई,इस तरह बेकार करलें
चुनावों में खर्च करने,जुटाएंगे कहाँ से धन
नहीं सुधरे थे कभी और नहीं सुधरेंगे कभी हम
                            ढीठ  है हम
 मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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