Friday, November 14, 2014

पूजा और प्रसाद

         पूजा और प्रसाद

बाद शादी के पडी बस ये ही आदत
किया करते रोज पत्नी की इबादत
और खाने मिल रहे पकवान तर है
चैन से ये जिंदगी होती बसर  है
नहीं पत्थर की प्रतिमा पूजते हम
हुस्न की जीवित प्रतिमा पूजते हम
पूर्ण श्रध्दा ,आस्था की  भावना से
सर नमाते,प्रेम की हम  कामना से
देवी के श्रृंगार हित नव वसन  लाते
स्वर्ण आभूषणो से उसको सजाते
प्रेम की भर भावना और जोश तन में
रतजगा भी किया करते ,कीर्तन में
आरती में लीन  होते,लगन से हम
भोग का परशाद पाते है तभी हम

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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