उनकी आदत नहीं बदलती
कितना ही साबुन से धोलो ,काले काले ही रहते है,
क्रीम पाउडर मल लेने से ,उनकी रंगत नहीं बदलती
कितना ही पैसा आ जाए ,लेकिन कृपण, कृपण रहता है ,
मोल भाव सब्जी वाले से,करने की लत नहीं बदलती
कितना ही बूढा हो जाए ,नेता ,नेता ही कहलाता ,
उदघाटन ,भाषण करने की ,उनकी चाहत नहीं बदलती
बंगलों के हो या सड़कों के ,कुत्ते ,कुत्ते ही रहते है ,
सुबह ढूंढते खम्बा ,टायर,उनकी आदत नहीं बदलती
प्यार पिता भी करता है पर,मन ही मन,दिखलाता कम है,
लेकिन खुल कर प्यार लुटाती,माँ की फितरत नहीं बदलती
पति पत्नी यदि सच्चे प्रेमी ,जनम जनम का जिनका बंधन,
चाहे जवानी ,चाहे बुढ़ापा ,उनकी उल्फत नहीं बदलती
लक्ष्मी तो चंचल माया है ,कई धनी निर्धन हो जाते ,
विद्या की दौलत पर ऐसी ,है जो दौलत नहीं बदलती
कहते है बारह वर्षों में ,घूरे के भी दिन फिरते है,
होते करमजले कुछ ऐसे ,जिनकी किस्मत नहीं बदलती
जिनके मन में लगन लक्ष्य की,मुश्किल से लड़ ,बढ़ते जाते ,
होते है जो लोग जुझारू , उनकी हिम्मत नहीं बदलती
माया के चक्कर में मानव ,सारी उमर खपा देता है,
खाली हाथ सभी जाते है ,यही हक़ीक़त नहीं बदलती
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
कितना ही साबुन से धोलो ,काले काले ही रहते है,
क्रीम पाउडर मल लेने से ,उनकी रंगत नहीं बदलती
कितना ही पैसा आ जाए ,लेकिन कृपण, कृपण रहता है ,
मोल भाव सब्जी वाले से,करने की लत नहीं बदलती
कितना ही बूढा हो जाए ,नेता ,नेता ही कहलाता ,
उदघाटन ,भाषण करने की ,उनकी चाहत नहीं बदलती
बंगलों के हो या सड़कों के ,कुत्ते ,कुत्ते ही रहते है ,
सुबह ढूंढते खम्बा ,टायर,उनकी आदत नहीं बदलती
प्यार पिता भी करता है पर,मन ही मन,दिखलाता कम है,
लेकिन खुल कर प्यार लुटाती,माँ की फितरत नहीं बदलती
पति पत्नी यदि सच्चे प्रेमी ,जनम जनम का जिनका बंधन,
चाहे जवानी ,चाहे बुढ़ापा ,उनकी उल्फत नहीं बदलती
लक्ष्मी तो चंचल माया है ,कई धनी निर्धन हो जाते ,
विद्या की दौलत पर ऐसी ,है जो दौलत नहीं बदलती
कहते है बारह वर्षों में ,घूरे के भी दिन फिरते है,
होते करमजले कुछ ऐसे ,जिनकी किस्मत नहीं बदलती
जिनके मन में लगन लक्ष्य की,मुश्किल से लड़ ,बढ़ते जाते ,
होते है जो लोग जुझारू , उनकी हिम्मत नहीं बदलती
माया के चक्कर में मानव ,सारी उमर खपा देता है,
खाली हाथ सभी जाते है ,यही हक़ीक़त नहीं बदलती
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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