अदालत है उनकी
वो जालिम है कातिल,जुलम हम पे ढाते ,
सताना दिखा के ,अदा ,लत है उनकी
ऊपर से हमको ,बताते है मुजरिम ,
वो हाकिम है और ये अदालत है उनकी
तड़फाना अपने सभी आशिकों को,
बुरी ही सही ,पर ये आदत है उनकी
मगर फिर भी हम तो ,दिवाने है ऐसे ,
बसी रहती मन में ,चाहत है उनकी
घोटू
वो जालिम है कातिल,जुलम हम पे ढाते ,
सताना दिखा के ,अदा ,लत है उनकी
ऊपर से हमको ,बताते है मुजरिम ,
वो हाकिम है और ये अदालत है उनकी
तड़फाना अपने सभी आशिकों को,
बुरी ही सही ,पर ये आदत है उनकी
मगर फिर भी हम तो ,दिवाने है ऐसे ,
बसी रहती मन में ,चाहत है उनकी
घोटू
No comments:
Post a Comment