जिंदगी का चलन
आदमी कमजोरियों का दास है
जब तलक है सांस ,तब तक आस है
ये तो तुम पर है की काटो किस तरह,
जिदगी के चारों दिन ही ख़ास है
हम तो दिल पर लगा बैठे दिल्लगी
उनको अब जाकर हुआ अहसास है
बाल बांका कोई कर सकता नहीं ,
अगर खुद और खुदा में विश्वास है
उमर भर तुम ढूँढा करते हो जिसे,
मिलता वो, बैठा तुम्हारे पास है
बहुत ज्यादा ख़ुशी भी मिल जाए तो,
हर किसी को नहीं आती रास है
मुरादें मनचाही सब मिल जायेगी ,
कर्म में तुमको अगर विश्वास है
आया जो दुनिया में एक दिन जाएगा ,
फिर भी तुमको ,मौत का क्यों त्रास है
स्वर्ग भी है और यहीं पर नर्क है ,
और बाकी सभी कुछ बकवास है
घोटू
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