यादें पुरानी
यादें पुरानी कितनी ,जब साथ दौड़ती है
तुम लाख करो कोशिश,पीछा न छोड़ती है
रातों को जब अचानक ,जाती है आँख खुल तो,
फिर सोने नहीं देती,इतना झंझोड़ती है
कुछ घड़ियाँ वो ख़ुशी की ,कुछ पल पुराने गम के,
जो दबे ,छुप के रहते , कोने में किसी मन के
कुछ घाव पुराने से ,हो जाते फिर हरे है
जिनकी कसक से आंसू ,आखों में फिर भरें है
रह रह के वो हमारे ,मन को मरोड़ती है
तुम लाख करो कोशिश,पीछा न छोड़ती है
वो प्यार पहला पहला ,जब नज़र लड़ गयी थी
रातों को जागने की , आदत सी पड़ गयी थी
वो उनका रूठ जाना ,वो दिल का टूट जाना
वो चुपके अकेले में ,आंसू का फिर बहाना
कोई की बेवफाई ,जब दिल को तोड़ती है
तुम लाख करो कोशिश ,पीछा न छोड़ती है
वो भूल जवानी की ,रो रो के फिर संभलना
बंधन में बंध किसी संग ,फिर साथ साथ चलना
बच्चों की करना शादी,और उनके घर बसाना
फिर सारे परिंदों का ,पिंजरे को छोड़ जाना
तनहाई बुढ़ापे में , मन को कचोटती है
तुम लाख करो कोशिश,पीछा न छोड़ती है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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