जवानी का हुनर -बुढ़ापे की गुजर
१
कभी सजाये इन्हे नेल पॉलिश रंग कर
कभी चुभाये मद विव्हल , तंग कर कर
इन्ही नखों को , मेरे काम भी लाओ तुम
आओ ,बैठ कर ,मेरी पीठ ,खुजाओ तुम
२
गोरे गोरे हाथ रंगे मेंहदी रंग में
होंठ सुहाने रंगे लिपस्टिक के संग में
ओ रंगरेज ,मुझे निज रंग रंगने वाले
आओ बैठो,बाल रंगो , मेरे काले
३
डाल रूप का जाल ,फंसाया बहुत मुझे
मुझ पर प्रेशर डाल ,दबाया बहुत मुझे
यह दबाब का हुनर आज दिखला दो तुम
पाँव दर्द करते है ,जरा दबा दो तुम
४
जो भी मैंने बात कही ,तुमने काटी
तूतू मैमै करी ,उम्र अब तक काटी
बहुत झुका ,अब सांस फूलती झुकने पर
पावों के नाखून काट दो, तुम डियर
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
No comments:
Post a Comment