Friday, February 28, 2020

जीवन सरिता

मिले पथ में कई पत्थर ,जूझ सबसे ,
जिंदगी की हर जटिल पीड़ा सही है
हुआ ना पथभ्रष्ट पर मैं रहा चलता ,
धार मेरी पर सदा सीधी  बही  है
मिले मुझमे कई नाले ,मैल वाले ,
कई पावन नदियों संग ,हुआ संगम
दिन ब दिन ,पर रहा बढ़ता पाट मेरा ,
और मेरी गति भी ना पड़ी मध्यम
लगा डुबकी आस्था और भावना की ,
कामना ले पुण्य की फिर लोग आये
उनके भक्तिभाव से पावन हुआ मैं ,
पूर्ण श्रद्धा लिए जो मुझमे ,नहाये
चाह ये है काम मैं आऊं सभी के ,
सभी को मैं प्यार बाटूं इस  सफर में
क्योंकि मालूम है मुझे कि एक दिन तो ,
मुझको जा मिलना है खारे समंदर में

घोटू 

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