एक लड़की सांवली सी
भोलीभाली और भली सी
एक सांचे में ढली सी
मुझे केरल में मिली थी ,
एक लड़की सांवली सी
उम्र के तूफ़ान में थी
जवानी परवान पर थी
रूप था निशदिन निखरता
आ रही तन में सुगढ़ता
देख निज यौवन उभरता ,
हो रही कुछ बावली सी
एक लड़की सांवली सी
सोचती कुछ ,मुस्कराती
बिना मतलब खिलखिलाती
गाल पर गुलमोहर खिलते
पंखुड़ियों से होठ हिलते
मन तरंगित ,तन तरंगित ,
अधखिली कोई कली सी
एक लड़की सांवली सी
नयन सुन्दर ,चपल,चंचल
बदन पर टिकता न आँचल
अमलताशी हाथ पीले
हाव भाव सब नशीले
प्यास तन मन की बुझाने ,
हो रही उतावली सी
एक लड़की सांवली सी
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
भोलीभाली और भली सी
एक सांचे में ढली सी
मुझे केरल में मिली थी ,
एक लड़की सांवली सी
उम्र के तूफ़ान में थी
जवानी परवान पर थी
रूप था निशदिन निखरता
आ रही तन में सुगढ़ता
देख निज यौवन उभरता ,
हो रही कुछ बावली सी
एक लड़की सांवली सी
सोचती कुछ ,मुस्कराती
बिना मतलब खिलखिलाती
गाल पर गुलमोहर खिलते
पंखुड़ियों से होठ हिलते
मन तरंगित ,तन तरंगित ,
अधखिली कोई कली सी
एक लड़की सांवली सी
नयन सुन्दर ,चपल,चंचल
बदन पर टिकता न आँचल
अमलताशी हाथ पीले
हाव भाव सब नशीले
प्यास तन मन की बुझाने ,
हो रही उतावली सी
एक लड़की सांवली सी
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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