आज के हालात -पांच चौके
१
कुछ तो'कोविड' ने बना दी दूरियां
और कुछ है उम्र की मजबूरियां
वो पुराना प्यार है खो सा गया ,
ऐसा क्या हो गया अपने दरमियां
२
बेवजह ही रोज होता क्लेश है
प्रेम का बाकी न वो उन्मेष है
छुवन में होती नहीं वो सुरसुरी ,
बदन में गर्मी बची ना शेष है
३
रूठने और मनाने के चोंचले
भूल जाओ ,अब हम बूढ़े हो चले
सहे सब संतोष से ,जो हो रहा ,
ना अपेक्षाएं रखें ना दिल जले
४
अब तो जैसी कट रही है,काट लो
अपने सुख दुःख ,तुम परस्पर बाँट लो
प्यार अब संभाल बन कर रह गया ,
समझौते से दूरियों को पाट लो
५
क्या पता है कब बिछड़ अब जायें हम
झेलना किसको ,अकेलेपन का गम
स्वर्ग में मिल जायें जो इत्तेफ़ाक़ से ,
हमको तुम पहचान लेना कम से कम
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
१
कुछ तो'कोविड' ने बना दी दूरियां
और कुछ है उम्र की मजबूरियां
वो पुराना प्यार है खो सा गया ,
ऐसा क्या हो गया अपने दरमियां
२
बेवजह ही रोज होता क्लेश है
प्रेम का बाकी न वो उन्मेष है
छुवन में होती नहीं वो सुरसुरी ,
बदन में गर्मी बची ना शेष है
३
रूठने और मनाने के चोंचले
भूल जाओ ,अब हम बूढ़े हो चले
सहे सब संतोष से ,जो हो रहा ,
ना अपेक्षाएं रखें ना दिल जले
४
अब तो जैसी कट रही है,काट लो
अपने सुख दुःख ,तुम परस्पर बाँट लो
प्यार अब संभाल बन कर रह गया ,
समझौते से दूरियों को पाट लो
५
क्या पता है कब बिछड़ अब जायें हम
झेलना किसको ,अकेलेपन का गम
स्वर्ग में मिल जायें जो इत्तेफ़ाक़ से ,
हमको तुम पहचान लेना कम से कम
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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