उमर की मेहरबानी
ज्यों ज्यों उमर मेहरबां हो रही है
मेरे दिल की मस्ती ,जवां हो रही है
यूं ही जूझते उम्र सारी गुजारी
परिवार खातिर ,करी मारामारी
खुशी लेकर आया बुढ़ापे का मौसम
उमर आई अपने लिए अब जिए हम
बहुत जिंदगी खुशनुमां हो रही है
मेरे दिल की मस्ती जवां हो रही है
भले ही लुनाई, रही ना वो तन में
बड़ी शांति पर ,बसी अब है मन में
निश्चिंत जीवन, बड़ा बेफिकर है
करो मौज की अब आई उमर है
परेशानियां सब हवा हो रही है
मेरे दिल की मस्ती जवां हो रही है
मदन मोहन बाहेती घोटू
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 16 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्
नज़रिए की बात है ! हर उम्र में कुछ ख़ास है !
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