कशमकश
मेरा दिल और दिमाग
कभी नहीं चले एक साथ
बचपन से ले अब तक
दोनों चलते रहे अलग-अलग
दिल ने कुछ कहा,
दिमाग नहीं माना
दिमाग में कुछ विचार आए
दिल नहीं माना
दोनों कि हमेशा लड़ाई चलती ही रही
और फिर एक दिन मेरी शादी हो गई
अब मन और मस्तिष्क की कशमकश बंद है क्योंकि मुझे अब वही करना पड़ता है,
जो मेरी पत्नी जी को पसंद है
मदन मोहन बाहेती घोटू
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