सन्यास आश्रम
हम सन्यास आश्रम की उम्र में है मगर संसार नहीं छूटता
लाख कोशिश करते हैं मगर मोह का यह जाल नहीं टूटता
हमारे बच्चे भी अब होने लग गए हैं सीनियर सिटीजन
पर बांध कर रखा है हमने मोह माया का बंधन शरीर में दम नहीं है ,हाथ पैर पड़ गए है ढीले
मगर दिल कहता है, थोड़ी जिंदगी और जी ले
इच्छाओं का नहीं होता है कोई छोर
हमेशा ये दिल मांगता है मोर
जब तलक लालसाओं का अंत नहीं होता है
सन्यासआश्रम में होने पर भी कोई संत नहीं होता है
मदन मोहन बाहेती घोटू
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