कान
चेहरे के दाएं या बाएं
अगर आप नजर घुमाएं
तो दो अजीब आकृति के छिद्रयुक्त अंग नज़र आते हैं
जो कान कहलाते हैं
यह हमारी श्रवण शक्ति के मुख्य साधन है
जिससे एक दूसरे की बात सुन पाते हम हैं
यह कान भी अजीब अंग दिया इंसान में है
हर जगह मौजूद रहते इस जहान में हैं
वो आपके मकान में हैं
उपस्थित दुकान में है
काम करो तो थकान में है
खुश रहो तो मुस्कान में हैं
आदमी के ही नहीं दीवारों के भी कान होते हैं
कोई कान के कच्चे श्रीमान होते हैं
हमें कानो कान खबर नहीं लगती और लोग हमारे विरुद्ध दूसरों के कान भरते हैं
कोई कान कतरते है
कोई कान में तेल डालकर बातों को अनसुना करते हैं
जब हम सतर्क होते हैं हमारे कान खड़े हो जाते हैं कोई बकवास करके हमारे कान पकाते हैं
कान सा कॉम्प्लिकेटेड आकार का शरीर का कोई अंग नहीं दिखता है
कहते हैं कान का हर पॉइंट शरीर के किसी अंग को कंट्रोल करता है
कान का सही उपयोग सुनने के लिए होता है पर औरते जो कभी किसी की नहीं सुनती है
अपने श्रृंगार के लिए कानों को चुनती हैं
कभी कानों में बाली डालती है
कभी झुमका लटकाती है
कभी हीरे के टॉप्स से कानों को सजाती है
कोरोना की बीमारी में भी कान बहुत काम आए हर कोई रहता था कान से मास्क लटकाए
मंद दृष्टि वालो को दूरदृष्टि देने वाला चश्मा जिससे साफ दिखता है
वह भी कानों के सहारे ही टिकता है
कुछ बातों की किसी को नही होती
कानोकान खबर है
ये शरीर का एकमात्र अंग है
जिसके नाम पर बसा कानपुर नगर है
बचपन में जब स्कूल में पढ़ते थे
मास्टर जी बहुत ज्ञान की बातें हमारे कानों में भरते थे
पर हमारे कानों पर जूं नहीं रेंग पाती थी
इस कान से सुनी बातें उस कान से निकल जाती थी
और इसकी सजा में हमारे काम उमेंठे जाते थे कभी कान पकड़ कर उठक बैठक लगाते थे
इस पर भी बात नहीं बनती तो कान पकड़कर मुर्गा बना दिए जाते थे
तरह-तरह की सजाएं पाते थे
तब तो हम खिसिया कर पल्लू झाड़ कर खड़े हो जाते थे
क्योंकि हमारे कई सहपाठी अक्सर ऐसी सजा पाते थे
पर एक प्रश्न दिमाग में जरूर मचाता था तूफान की सजा देते समय मास्टर जी क्यों मरोड़तें हैं हमेशा कान
लेकिन इसका उत्तर अब समझ पाए हम है
कान का मस्तिष्क की ज्ञान तंत्रिका से सीधा कनेक्शन है
कान मरोड़ने से ज्ञान तंत्रिका जागृत हो जाती है ऐसी सजा से अच्छी बुद्धि आती है
कुछ भी हो अगर कान नहीं होते तो आपस में कम्युनिकेशन नहीं हो पाता
न सत्संग हो पाता ,ना भजन हो पाता
इसलिए श्रीमान
मेरी बात सुनिए खोल कर कान
कान है महान
गुणों की खान
आपके चेहरे पर लाते है मुस्कान
अगर सुन कर कान का बखान
नहीं पके हो आपके कान
तो आपस में कानाफूंसी न कर
ऐसी बातें बोलें
जो लोगों के कानो में मिश्री घोले
मदन मोहन बाहेती घोटू
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