तारा जी के जन्मदिवस पर
तुम छिहत्तर, मैं इक्यासी
प्यार हमारा, हुआ न बासी
प्रिय, तुमने मुझको जीवनभर
दिए खुशी के कितने ही पल
आज तुम्हारे जन्मदिवस पर
चाहूं लौटाना , दूने कर
ऐसा कुछ दूं,जो मन भाए
तुम्हारा श्रृंगार बढ़ाएं
जिसे देख कर मन हर्षाये
और खुशी चेहरे पर छाये
हीरक हार , भेंट है तुमको
मेरा प्यार ,भेंट है तुमको
गोरे तन पर स्वर्ण दमकता
हर हीरे में, प्यार चमकता
जैसे गले लगाया मुझको
गले लगा कर रखना इसको
मदन मोहन बाहेती
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