भूलने की बिमारी
बुढ़ापे में मुश्किल यह भारी हुई है
मुझे भूलने की बीमारी हुई है
नहीं याद रखा रहता ,कहां क्या रखा है
याददाश्त देने लगी अब दगा है
किसी का पता और नाम भूल जाता
करने को निकला वह काम भूल जाता
समय पर दवा लूं, नहीं याद रहता
मस्तिष्क , मन में है अवसाद रहता
यूं ही मुश्किलें ढेर सारी हुई है
मुझे भूलने की बीमारी हुई है
मगर याद रहती है बातें पुरानी
वो बचपन के किस्से ,वो यादें पुरानी
जवानी के दिन भी ,भुलाए न जाते
वो जब याद आते ,बहुत याद आते
अकेले में होती है यादें सहारा
इन्हीं से गुजरता समय है हमारा
घटनायें कितनी ही प्यारी हुई है
मुझे भूलने की बीमारी हुई है
नहीं भूल पाता वह ममता का आंचल
मुझे याद आता ,पिताजी का वो डर
याद आती बचपन की शैतानियां सब
गुजरे दिनों की वो नादानियां सब
भाई बहन की , वो तू तू , वो मैं मैं
खुल्ली छतों पर , वो सोना मजे में
बुढ़ापे में यादों से यारी हुई है
मुझे भूलने की बीमारी हुई है
मदन मोहन बाहेती घोटू
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