आशीर्वाद
1
मैंने गुरु सेवा करी ,बहुत लगन के साथ
हो प्रसन्न गुरु ने कहा, मांगो आशीर्वाद
मांगो आशीर्वाद ,कहा प्रभु दो ऐसा वर
सुख और शांति मिले ,मुझे पूरे जीवन भर
कहा तथास्तु गुरु ने , मैं प्रसन्न हो गया
पाया आशीर्वाद गुरु का धन्य हो गया
2
लेकिन फिर ऐसा हुआ कुछ कुछ मेरे साथ
शादी की बातें चली ,बनी नहीं पर बात
बनी नहीं पर बात,दुखी मन मेरा डोला
गया गुरु के पास, शिकायत की और बोला
गुरुवर फलीभूत ना आशीर्वाद तुम्हारा
सुखी नहीं में दुखी ,अभी तक बैठा कुंवारा
3
गुरु बोले शादी करो ,खो जाता है चैन
पत्नी की फरमाइशें, लगी रहे दिन रेन
लगी रहे दिन रेन ,रोज की होती किच-किच
सास बहू के झगड़े में इंसां जाता पिस
मेरे वर ने रोक रखी तेरी बरबादी
सुख शांति से जी, या फिर तू कर ले शादी
मदन मोहन बाहेती घोटू
No comments:
Post a Comment