बुढ़ापा कैसा होता है
आदमी हंसता तो कम है आदमी ज्यादा रोता है
बुढ़ापा कैसा होता है ,बुढ़ापा ऐसा होता है
नज़र से थोड़ा कम दिखता ,बदन में है सुस्ती छाती
कदम भी डगमग करते हैं ,नींद भी थोड़ा कम आती
जलेबी ,रबड़ी और लड्डू ,देखकर ललचाता है दिल
बहुत मन करता खाने को, पचाना पर होता मुश्किल
परेशां रहता है अक्सर, चैन मन अपना खोता है
बुढ़ापा कैसा होता है ,बुढ़ापा ऐसा होता है
बसाते बेटे अपना घर ,जब उनकी हो जाती शादी
बेटियों को हम ब्याह देते हैं ,चली ससुराल वो जाती
अकेले रह जाते हैं हम, बड़ी मुश्किल से लगता मन
वक्त काटे ना कटता है ,खटकता है एकाकीपन
बच्चों का व्यवहार भी न पहले जैसा होता है
बुढापा कैसा होता है , बुढापा ऐसा होता है
उजड़ने लगती है फसलें, माथ पर काले बालों की
दांत भी हिलने लगते हैं ,न रहती रौनक गालों की
कभी ब्लड प्रेशर बढ़ जाता , कभी शक्कर बढ़ जाती है
बिमारी कितनी ही सारी ,घेर कर हमें सताती है
बदलते हालातों से हम ,किया करते समझौता है
बुढ़ापा कैसा होता है ,बुढ़ापा ऐसा होता है
मदन मोहन बाहेती घोटू
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