Wednesday, June 12, 2024

मेहमान 


घर में है मेहमान आ रहे 

बहुत खुशी है आल्हादित मन 

बोझ  काम का बढ़ जाएगा 

पत्नी  को हो रहा टेंशन 

कैसे काम सभालूंगी सब

 यही सोच कर घबराती है 

उससे ज्यादा काम ना होता

 जल्दी से वह थक जाती है

 बात-बात में होती नर्वस 

हाथ पांव में होता कंपन 

बढ़ती उम्र असर दिखलाती 

पहले जैसा रहा न दम खम 

भाग भाग कर दौड़-दौड़ कर 

ख्याल रखा करती थी सबका 

पहले जैसी मेहनत करना 

रहा नहीं अब उसके बस का

 मैं बोला यह सत्य जानलो 

तुम्हें बुढ़ापा घेर रहा है 

दूर हो रही चुस्ती फुर्ती 

अब यौवन मुख फेर रहा है 

आंखों से भी कम दिखता है 

थोड़ा ऊंची भी सुनती हो 

लाख तुम्हें समझाता हूं मैं 

लेकिन मेरी कब सुनती हो 

अब हम तुम दोनों बूढ़े हैं 

तुम थोड़ी कम में कुछ ज्यादा 

ज्यादा दिन तक टिक पाएंगे  

जीवन अगर जिएंगे सदा 

पहले जैसा भ्रमण यात्रा 

करने के हालात नहीं है 

खाना पीना खातिरदारी 

करना बस की बात नहीं है  

पहले जैसे नहीं रहे हम 

यही सत्य है और हकीकत 

 काम करो केवल उतना ही 

 जितनी तुम में हो वह हिम्मत 

कोई बुरा नहीं मानेगा 

मालूम हालत पस्त तुम्हारी 

खुशी खुशी त्यौहार मनाएगी 

मिलकर फैमिली सारी 


मदन मोहन बाहेती घोटू

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