Wednesday, May 25, 2011

धंधा -बाबागिरी का

     धंधा -बाबागिरी  का
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नहीं नौकरी ,पढ़े लिखे हो ,है बेकारी
तो फिर तुमको ,सच्ची,अच्छी,राय हमारी
बहुत धर्मप्रिय है जनता ,तुम लाभ उठाओ
छोडो सारे चक्कर ,तुम बाबा बन जाओ
सभी सफलताओं का फिर तो द्वार खुला है
बाबाजी बनने का सिंपल फ़ॉर्मूला है
संस्कृत के दो चार मन्त्र पहले रट डालो
और गले में रुद्राक्षों की माला डालो
सिर मुंडवालो,या फिर लम्बे बाल बढाओ
भगवा सा चोला पहनो,सिर तिलक लगाओ
एक मूर्ती,कुछ तस्वीरें,भजन ,कीर्तन
घंटी,पूजा,चेला,चेली,कुछ अपने जन
बने प्रचारक,करें आपकी ,महिमा मंडित
और आपको बतलाएं ,अति ज्ञानी पंडित
अच्चा होगा ,कुछ ज्योतिष का ज्ञान जरूरी
और हस्त रेखाओं की पहचान जरूरी
कुछ ड्रामेबाजी आती हो ,थोडा गाना
सबसे ज्यादा आवश्यक है ,बात बनाना
तो भक्तों की भीड़ नहीं बिलकुल थमने की
सभी योग्यताएं है तुम में बाबा बनने की
,पुत्र चाहिए,बाबाजी के आश्रम आओ
परेशानियाँ,चिंताओं से मुक्ति पाओ
नयी नौकरी,या मनचाहा जीवन साथी
होंगे पूर्ण मनोरथ,कृपा अगर बाबा की
तुम भविष्य बतलाओगे जितने लोगों का
प्रोबेलिटी है,सच होगा ,आधे लोगों का
उतने निश्चित भक्त तुम्हारे बन जायेंगे
हो मुरीद,कितने ही भक्तों को लायेंगे
बाबा गिरी का धंधा फिर बस चल निकलेगा
दिन दूना और रात चौगुना नाम बढेगा
शोहरत,दौलत,सब चूमेगी,कदम तुम्हारे
हो जायेगे,बस तुम्हारे,वारे न्यारे
बाबा गिरी में ,ख्याल मगर तुम ,इतना रखना
गिरी हुई हरकत करने से ,बिलकुल बचना
अगर गए जो पकडे तुम जो किसी खेल में
बदनामी होगी और जीवन कटे जेल में

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

 

1 comment:

  1. bahut achhe lekh hai aapke mai aapke lekho ko apne blog par dikhna chahta hu ... please mujhe mail kare info@helloji.in www.helloji.in

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