दौलत -महोब्बत की
बड़ा ही नाज़ दिखलाते ,
हुस्न पर अपने इतराते,
हवा में उड़ते रहते है,
जवानी जिस पे चढ़ती है
समय के साथ दुनिया की ,
हक़ीक़त सामने आती ,
ये गाडी जिंदगानी की,
बड़ी रुक रुक के बढ़ती है
दौलते जिस्म हो चाहे,
दौलते हुस्न हो चाहे ,
ये दोनों दौलतें ऐसी ,
समय के साथ ढलती है
मगर दौलत महोब्बत की,
इश्क़ की और चाहत की ,
ये दौलत दोस्ती की है,
दिनों दिन दूनी बढ़ती है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
बड़ा ही नाज़ दिखलाते ,
हुस्न पर अपने इतराते,
हवा में उड़ते रहते है,
जवानी जिस पे चढ़ती है
समय के साथ दुनिया की ,
हक़ीक़त सामने आती ,
ये गाडी जिंदगानी की,
बड़ी रुक रुक के बढ़ती है
दौलते जिस्म हो चाहे,
दौलते हुस्न हो चाहे ,
ये दोनों दौलतें ऐसी ,
समय के साथ ढलती है
मगर दौलत महोब्बत की,
इश्क़ की और चाहत की ,
ये दौलत दोस्ती की है,
दिनों दिन दूनी बढ़ती है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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