क्षणिकाएं
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ज्ञान
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ज्ञान एक साबुन है,
जिसे,जितना ज्यादा घिसोगे,
उतने ज्यादा झाग पाओगे
सिद्धांत
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सिद्धांत,
दुकान के शोकेस में
रखे हुए ,वो ब्युटीपीस हैं
जो दुकान के अन्दर,
अक्सर नहीं मिलते हैं
सहानुभूति
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सहानुभूति,
बड़े लोगों के दिल में भी होती है,
ठीक उस खजूर के फलों की तरह
जो कंटीले ,पत्तों के बीच,
टेढ़े मेधे,ऊँचे वृक्ष पर लगे होतें है
जन साधारण की ,
पहुँच से परे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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ज्ञान
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ज्ञान एक साबुन है,
जिसे,जितना ज्यादा घिसोगे,
उतने ज्यादा झाग पाओगे
सिद्धांत
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सिद्धांत,
दुकान के शोकेस में
रखे हुए ,वो ब्युटीपीस हैं
जो दुकान के अन्दर,
अक्सर नहीं मिलते हैं
सहानुभूति
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सहानुभूति,
बड़े लोगों के दिल में भी होती है,
ठीक उस खजूर के फलों की तरह
जो कंटीले ,पत्तों के बीच,
टेढ़े मेधे,ऊँचे वृक्ष पर लगे होतें है
जन साधारण की ,
पहुँच से परे
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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