Tuesday, June 14, 2011

और

और
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बात नहीं कुछ,
विषय नहीं कुछ
बोअर हो गए ;
तो तुम बोले और सुनाओ
आओ!आओ!
करें सिलसिला,फिरसे चालू,
हम बातों का,
जोर जोर से
अगर गौर से देखोगे तो,
चारों और सुनाई देगा ,शोर 'और' का
जोर शोर से
देखोगे ,जग के जन जन में
सब के मन में
सिर्फ 'और' की आस जगी है
सिर्फ 'और'की प्यास लगी है
जिसके पास जरा है थोडा रूखा सूखा,
अगर उसे कुछ मिला भाग्य से या मेहनत से,
पर उसको संतोष न होगा,
ज्यादा से ज्यादा पाने की प्यास बढ़ेगी
पीने की तो प्यास बुझे पानी से लेकिन,
पाने की तो प्यास कभी भी नहीं बुझेगी
क्योंकि जो जितना पाता है
उतना ज्यादा ललचाता है
इतना सब कुछ पाने पर भी,
थोडा भी संतोष नहीं है,
मानव मन में
और 'और' की ओर बढ़ रहा,
आज हमारे इस समाज का'
ढांचा ही कुछ बदला होता,
अगर और की प्यास न होती
किन्तु'और ' तो अजर अमर है
जब तक जीवन है,दुनिया है,
'और' रहेगा
सिर्फ रहेगा नहीं ,'ओंर'ही राज्य करेगा
क्योकि 'और' पर जोर नहीं है
और 'और' का छोर नहीं है

मदन मोहन बहेती 'घोटू'



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