अर्धाक्षर
मुझ बिन कोई पूर्ण नहीं है ,जी हाँ मै आधा अक्षर हूँ
१
पूर्व दिशा में ,मै पश्चिम में,उत्तर से दक्षिण तक व्यापक
स्वर्ग नर्क में,चन्द्र सूर्य में, मै पृथ्वी से अन्तरिक्ष तक
मंगल,शुक्र ,बृहस्पति ग्रह में ब्रह्माण्ड में, मै अम्बर में
मै समुद्र में, मै पर्वत पर ,मै त्रेता में, मै द्वापर में
धर्म,कर्म, संगीत, नृत्य में,और मृदंग का मै ही स्वर हूँ
, जी हाँ मै आधा अक्षर हूँ
मै त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु में,शिवशंकर के मन में रहता
मै लक्ष्मी, शक्ति, दुर्गा में,सरस्वती के स्वर में बहता
चार धाम,बद्री, रामेश्वर,जगन्नाथ जी ,पुरी द्वारका
महानगर, मुंबई,चेन्नई,इन्द्रप्रस्थ दिल्ली या कोलकत्ता
महानगर ये मेरे कारण,क्योंकि मै इनके अन्दर हूँ
जी हाँ मै आधा अक्षर हूँ
मै मस्तक में ,कर्ण चक्षु मेंओष्ट और जिव्हा में मै ही
हस्त ,उंगलियाँ,जांघ,पिंडलियाँ,मांस और मज्जा में मै ही
मै वर्षा में,मै सर्दी में,मै गर्मी में,मै बसंत में
जन्म ,मृत्यु में विद्यमान में,मै ही आरम्भ और अंत में
मै मानव की श्वास श्वास में ,और मै ही अस्थि पंजर हूँ
जी हाँ मै आधा अक्षर हूँ
ब्रह्मचर्य में,मै गृहस्थ में,वानप्रस्थ में, मै सन्यासी
ब्रह्मण,क्षत्रिय,वैश्य,क्षुद्र ,इन चार वर्ण का मै हूँ वासी
मै गंगा में,कालिंदी में ,सिन्धु,नर्मदा,क्षिप्रा, चम्बल
मै संगम में,मै प्रयाग में ,मै हूँ तीर्थराज में पुष्कर
हिंदी, उर्दू ,संस्कृत ,इंग्लिश ,हर भाषा में बहुत मुखर हूँ
जी हाँ मै आधा अक्षर हूँ
कृष्णचन्द्र में बसा हुआ मै, मुझे बांसुरी ने है बांधा
क्योंकि मै मोजूद नहीं था ,प्यार रहा राधा का आधा
कृष्णचन्द्र की आठों रानी,रुकमनी, कालिंदी ,सत्यभामा
जामवंती और मित्रवंदा थी ,सत्या,भद्रा और लक्ष्मणा
इन सबके पटरानी बनने का,कारण बस में ही भर हूँ
जी हाँ मै आधा अक्षर हूँ
हिन्दू ,मुस्लिम, बौद्ध,क्रिश्चियन ,सिख्ख सभी धर्मो के अन्दर
इश्वर, बुद्ध और क्राइस्ट में,मै अल्लाह में और पैगम्बर
विश्व सुंदरी बन कर चमकी,बजा रूप का अपने डंका
सुस्मिता ,एश्वर्य राय और युक्ता,दत्ता और प्रियंका
मै इन सब में विद्यमान था ,ये सुन्दर मै भी सुन्दर हूँ
जी हाँ मै आधा अक्षर हूँ