दांत की बात
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जब हम हँसते,तो दिखते है
जब कुछ खाते तो पिसते है
चमका करते तड़ित रेख से,
सर्दी हो ,किट किट करते है
आँख,कान या हाथ ,पैर सब,
तन पर दो दो पीस दिये है
लेकिन प्रभु ने थोक भाव से,
दांत हमें बत्तीस दिये है
सबसे सख्त अंग मानव का,
लेकिन साथ दिया है कोमल
अन्दर है नाजुक सी जिव्हा,
अधर चूमते रहते बाहर
आते है सब अंग जनम से,
ये आते है ,मगर ठहर के
वी. आई. पी.मेहमानों जैसे,
शकल दिखाते,एक एक कर के
एक बार जो अंग मिल गया,
संग रहता है जीवन सारा
लेकिन सिर्फ दांत ऐसे है,
जो तन पर उगते दोबारा
दांतों तले दबाते उंगली,
जब हम अचरज में आ जाते
दांतों काटी रोटी होती,
तब हम गहरे दोस्त कहाते
अगर किसी को हरा दिया तो,
कहते खट्टे दांत कर दिये
तुमने दांत निपोर दिये क्यों,
बिना बात के अगर हंस दिये
हुआ प्रलय,डूबी धरती,तब
वराह रूप ले भगवन आये
उठा धरा अपने दांतों पर,
प्रभु थे जल से बाहर लाये
एक दन्त भगवान गजानन,
पूजा प्रथम सदा पाते है
दांत छुपे रहते मानव के,
और दानव के दिखलाते है
हाथी और रिश्वतखोरों की
लेकिन होती बात अलग है
दिखलाने के दांत और है,
और खाने के दांत अलग है
अगर निहत्थे जो गर तुम हो,
एक मात्र हथियार यही है
काट दांत से,दूर भगो तुम,
सबसे अच्छा वार यही है
है बच्चों के दांत दूध के,
अर्ध चन्द्र जैसे उगते है
दांत किसी सुन्दर रमणी के,
मोती के जैसे लगते है
हिलते दांत बुढ़ापे में हैं,
और नकली भी लग जाते है
रोज रोज मंजन कर के हम,
ख्याल दांत का,रख पाते है
जो भी शब्द ,निकलता मुंह से,
दांतों को छू कर आता है
दांत खिलखिला,उनका हँसना,
'घोटू' के मन को भाता है
खाना,पीना,हँसाना,गाना,
है सब में महत्त्व दांतों का
बात दांत की सुन कर मेरी,
ख्याल रखोगे ,तुम दांतों का
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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जब हम हँसते,तो दिखते है
जब कुछ खाते तो पिसते है
चमका करते तड़ित रेख से,
सर्दी हो ,किट किट करते है
आँख,कान या हाथ ,पैर सब,
तन पर दो दो पीस दिये है
लेकिन प्रभु ने थोक भाव से,
दांत हमें बत्तीस दिये है
सबसे सख्त अंग मानव का,
लेकिन साथ दिया है कोमल
अन्दर है नाजुक सी जिव्हा,
अधर चूमते रहते बाहर
आते है सब अंग जनम से,
ये आते है ,मगर ठहर के
वी. आई. पी.मेहमानों जैसे,
शकल दिखाते,एक एक कर के
एक बार जो अंग मिल गया,
संग रहता है जीवन सारा
लेकिन सिर्फ दांत ऐसे है,
जो तन पर उगते दोबारा
दांतों तले दबाते उंगली,
जब हम अचरज में आ जाते
दांतों काटी रोटी होती,
तब हम गहरे दोस्त कहाते
अगर किसी को हरा दिया तो,
कहते खट्टे दांत कर दिये
तुमने दांत निपोर दिये क्यों,
बिना बात के अगर हंस दिये
हुआ प्रलय,डूबी धरती,तब
वराह रूप ले भगवन आये
उठा धरा अपने दांतों पर,
प्रभु थे जल से बाहर लाये
एक दन्त भगवान गजानन,
पूजा प्रथम सदा पाते है
दांत छुपे रहते मानव के,
और दानव के दिखलाते है
हाथी और रिश्वतखोरों की
लेकिन होती बात अलग है
दिखलाने के दांत और है,
और खाने के दांत अलग है
अगर निहत्थे जो गर तुम हो,
एक मात्र हथियार यही है
काट दांत से,दूर भगो तुम,
सबसे अच्छा वार यही है
है बच्चों के दांत दूध के,
अर्ध चन्द्र जैसे उगते है
दांत किसी सुन्दर रमणी के,
मोती के जैसे लगते है
हिलते दांत बुढ़ापे में हैं,
और नकली भी लग जाते है
रोज रोज मंजन कर के हम,
ख्याल दांत का,रख पाते है
जो भी शब्द ,निकलता मुंह से,
दांतों को छू कर आता है
दांत खिलखिला,उनका हँसना,
'घोटू' के मन को भाता है
खाना,पीना,हँसाना,गाना,
है सब में महत्त्व दांतों का
बात दांत की सुन कर मेरी,
ख्याल रखोगे ,तुम दांतों का
मदन मोहन बाहेती'घोटू'